वकील उत्पीड़न क्या है और क्यों बढ़ रहा है?
अगर आप या आपका कोई जानकार वकील है, तो अक्सर कोर्ट रूम, ऑफिस या सोशल मीडिया में दवाब महसूस कर सकते हैं। यही है वकील उत्पीड़न। दवाब के पीछे कई कारण हो सकते हैं – देर तक काम, क्लाइंट की बदनामी, या रिवायंस की धमकी। जब ये दवाब लगातार रहता है, तो एक वकील की नौकरी ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत जिंदगी भी प्रभावित हो जाती है।
उत्पीड़न के प्रमुख कारण
पहला कारण है अतिव्यस्तता। केस की भरमार, देर रात तक दस्तावेज़ तैयार करना और लगातार कोर्ट में बुलाए जाना थकान बढ़ा देता है। दूसरा कारण है क्लाइंट की नकारात्मक प्रतिक्रिया। जब क्लाइंट का केस हार जाता है, तो अक्सर वे वकील पर गुस्सा करके उसे व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाते हैं। तीसरा कारण है राजनीतिक या सामाजिक दबाव – कभी‑कभी वकील को कुछ मामलों में सरकार या लाभप्रद समूहों से धमकी मिलती है। चौथा कारण है सोशल मीडिया पर नकारात्मक टिप्पणी या ट्रोलिंग, जिससे मनोवैज्ञानिक तनाव बढ़ता है।
उत्पीड़न से बचने के आसान उपाय
सबसे पहले, काम और आराम के बीच संतुलन बनाना जरूरी है। टास्क लिस्ट बनाकर प्राथमिकता तय करें, और रात में कम से कम 7 घंटे की नींद रखें। दूसरा, प्रोफेशनल सपोर्ट ग्रुप ज्वाइन करें – कई बार वकील साथियों से बात करने से दवाब कम लगता है। तीसरा, क्लाइंट के साथ स्पष्ट समझौता लिखित में रखें, ताकि बाद में कोई झुंझलाहट न हो। चौथा, अगर आपको धमकी मिलती है, तो तुरंत पुलिस या स्थानीय बार एसोसिएशन को रिपोर्ट करें। अंत में, सोशल मीडिया पर निजी प्रोफ़ाइल को प्राइवेसी सेटिंग्स से सुरक्षित रखें और आवश्यक होने पर किसी पोस्ट को डिजिटल तौर पर हटवा दें।
इन छोटे‑छोटे कदमों से आप अपने पेशे में सुरक्षित रह सकते हैं और मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकते हैं। याद रखिए, लड़ाई नहीं, बचाव करना ज्यादा असरदार है। अगर आप या आपके सहयोगी को लगातार दवाब का सामना करना पड़ रहा है, तो पेशेवर काउंसलिंग भी एक विकल्प है।
वकील बनना सम्मान की बात है, लेकिन सम्मान के साथ सुरक्षित रहना भी जरूरी है। इन टिप्स को अपनाकर आप न सिर्फ केस जीतेंगे, बल्कि अपनी मेहनत को सुरक्षित भी रखेंगे।
22 सितंबर 2025 को दिल्ली हाई कोर्ट ने ओखला इंडस्ट्रियल एरिया के उप निरीक्षक नरिंदर के कोर्ट परिसर में वकीलों के प्रति अपमानजनक भाषा और धमकी को कड़ाई से निंदा की। जज ने अधिकारियों को ‘कानून के रक्षक’ कहकर याद दिलाया कि उनका काम सुरक्षा है, न कि उत्पीड़न। उप निरीक्षक को लिखित माफ़ी पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया गया।
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