पुलिस अधिकारी दुराचार: समझें, पहचानें, कार्रवाई करें
अगर कभी आपको या आपके आसपास कोई पुलिस अधिकारी ठीक नहीं behaved करता, तो आप अकेले नहीं हैं। इस टैग पेज में हम बता रहे हैं कि दुराचार कैसे दिखता है, आपको कौन‑से अधिकार हैं और शिकायत कहां और कैसे कर सकते हैं। सीधे‑साथ बात करेंगे, ताकि आप तुरंत कदम उठा सकें।
दुराचार के सामान्य रूप
पुलिस दुराचार कई तरह से हो सकता है। सबसे आम है जब अधिकारी गैर‑ज़रूरी ताकत लगाते हैं – जैसे बहुत ज़्यादा गश्ती में लोगों को मारना या झटका देना। दूसरे रूप में है जब अधिकारी पैसे मांगते हैं या जमानत वगैरह पर गलत दावे करते हैं। कभी‑कभी बेकायदा तलाशी, गलत नोटिस या फर्जी केस भी दुराचार में आते हैं। इन सभी में एक बात साफ है – आपका क़ानूनिक अधिकार टेढ़ा‑मेढ़ा नहीं होना चाहिए।
दुराचार देख कर अक्सर लोग घबराते हैं और चुप रह जाते हैं। लेकिन याद रखें, अगर आप चुप रहेंगे तो ऐसा व्यवहार और बढ़ेगा। इसलिए छोटे‑छोटे संकेतों को नोट कर लेना चाहिए – जैसे घड़ी‑समय, अधिकारी का नाम, बैज नंबर व गाड़ी का नंबर। ये जानकारी आगे की कार्रवाई में काम आती है।
शिकायत कैसे करें
पहला कदम – स्थानीय पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दर्ज करवाएं। लिखते समय सही तिथि, स्थान और घटना का विवरण रखें। अगर संभव हो तो गवाहों के नाम भी लिखें। दोबारा जांच के लिए फोटो या वीडियो भी मददगार होते हैं, पर हमें कानूनी सीमा का ध्यान रखना चाहिए – नहीं तो अपने आप में समस्या बन सकती है।
अगर स्थानीय थाना मदद नहीं करता, तो आप जिला पुलिस या राज्य मोटर पुलिस के पास अपील कर सकते हैं। बहुत से राज्यों में “सुपरिंटेंडेंट ऑफ़ पुलिस” या “कंट्रोलर ऑफ़ पब्लिक ग्रिवेंसेस” का ऑफिस रहता है, जहां आप बिना डर के शिकायत कर सकते हैं। ऑनलाइन पोर्टल भी होते हैं; बहुत सारी राज्य पुलिस वेबसाइट पर फॉर्म भर कर तुरंत शिकायत दर्ज हो जाती है।
एक और विकल्प है मानव अधिकार आयोग या राष्ट्रीय मानव अधिकार फ्रेमवर्क (NHRF) को लिखना। ये संस्थाएं विशेषकर दुराचार मामलों में त्वरित कार्रवाई करती हैं। याद रखें, हर शिकायत का रसीद मिलना चाहिए, क्योंकि रसीद आपके केस की प्रूफ़ होती है।
शिकायत के बाद पुलिस को जवाब देने का समय दे। अगर दो‑तीन हफ्ते में कोई जवाब नहीं मिलता, तो आप स्थानीय अदालत में “विचार‑प्रक्रिया याचिका” दर्ज करा सकते हैं। इस दौरान वकील की मदद लेना फायदेमंद रहेगा, खासकर जब केस बड़े या जटिल हो।
अंत में, अपने सामाजिक नेटवर्क में इस जानकारी को शेयर करें। जितने ज्यादा लोग दुराचार के बारे में जानते हैं, उतनी ही जल्दी राज़ खोलती है। साथ ही, अगर आप किसी दोस्त या रिश्तेदार को ऐसे अनुभव का सामना कर रहे हैं, तो उन्हें ये कदम बताएं। मिलकर हम दुराचार को रोक सकते हैं और एक सुरक्षित समाज बना सकते हैं।
22 सितंबर 2025 को दिल्ली हाई कोर्ट ने ओखला इंडस्ट्रियल एरिया के उप निरीक्षक नरिंदर के कोर्ट परिसर में वकीलों के प्रति अपमानजनक भाषा और धमकी को कड़ाई से निंदा की। जज ने अधिकारियों को ‘कानून के रक्षक’ कहकर याद दिलाया कि उनका काम सुरक्षा है, न कि उत्पीड़न। उप निरीक्षक को लिखित माफ़ी पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया गया।
और देखें