जब चिराग शेट्टी और सत्विकसैराज रैंकिरेड्डी ने 2019 में थाईलैंड ओपन का खिताब जीता, तो भारतीय बैडमिंटन ने एक नया इतिहास लिखा। वो पहले भारतीय डबल्स जोड़ी बन गए जिन्होंने BWF वर्ल्ड टूर के सुपर 500+ टूर्नामेंट में जीत हासिल की। अब, वो अपने सबसे बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं — ऑस्ट्रेलियाई ओपन सुपर 500। ये टूर्नामेंट सिर्फ एक और इवेंट नहीं, बल्कि उनके रास्ते का अगला चरण है — जहां उनकी लगातार उपलब्धियां, नए कोच की वापसी और देश के लिए गर्व का एक नया अध्याय बन सकता है।
एक जोड़ी, एक यात्रा
चिराग और सत्विक की जोड़ी का जन्म 2017 में हुआ था, जब तन किम हर ने दोनों को एक साथ रखा। उनकी ये जोड़ी तब तक नहीं जानी जाती थी, जब तक 2019 का थाईलैंड ओपन नहीं आया। उस फाइनल में उन्होंने चीन के ली जूनहुई और लिउ यूचेन को हराया — एक ऐसा जीत जिसने भारतीय बैडमिंटन के लिए एक नई सीमा तय कर दी। उसके बाद की यात्रा बरकरार रही। 2022 में, उन्होंने भारत ओपन जीता, और फिर थॉमस कप में इंडोनेशिया के जाने-माने जोड़े के खिलाफ 21-19 से तीसरे गेम में जीत हासिल की। वो दोनों ने उस जीत के बाद अपने हाथ जोड़ लिए — न सिर्फ खुशी में, बल्कि देश के लिए एक ऐतिहासिक जीत के लिए।
2024 का संघर्ष और जीत
2024 एक उतार-चढ़ाव भरा साल रहा। मलेशिया ओपन और भारत ओपन में वो फाइनल तक पहुंचे, लेकिन दोनों बार हार गए। पहले कोरियाई जोड़े के खिलाफ, फिर चीनी टीम के खिलाफ। लेकिन फ्रांस ओपन में उन्होंने अपनी वापसी का इशारा किया। ली जेह-हुई और यांग पो-ह्सुआन को 21-16, 21-18 से हराकर उन्होंने सुपर 750 टाइटल जीता। ये जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं थी — ये एक संदेश था कि वो अभी भी दुनिया के शीर्ष जोड़ों में शामिल हैं।
हालांकि, सिंगापुर ओपन में पहले राउंड में हार ने उनकी आत्मविश्वास को झुका दिया। डेनिश जोड़ी ने उन्हें सीधे गेम में हरा दिया। लेकिन यही तो है खेल — एक जीत के बाद एक हार, और फिर एक और जीत। और यही वजह है कि जब तन किम हर वापस आए, तो उनकी टीम ने फिर से अपनी गति पकड़ ली। 2025 के मलेशिया ओपन और भारत ओपन में उन्होंने सेमीफाइनल तक पहुंचकर दिखाया कि उनकी टीम अभी भी टॉप लेवल पर है।
ऑस्ट्रेलियाई ओपन: एक नया मौका
ऑस्ट्रेलियाई ओपन सुपर 500 एक ऐसा टूर्नामेंट है जहां शीर्ष खिलाड़ी आते हैं, लेकिन अभी तक भारतीय डबल्स जोड़ी ने इसका अच्छा इस्तेमाल नहीं किया। ये उनका अवसर है। जब आप देखें कि समीर वर्मा ने 2021 के विश्व चैंपियन लोह केन यू को हराया, तो ये साफ हो जाता है कि भारत के खिलाड़ी अब दुनिया के बड़े खिलाड़ियों के साथ खेल सकते हैं।
चिराग और सत्विक के लिए, ये टूर्नामेंट उनकी टीम के लिए एक नया टेस्ट है। उनके खिलाफ कौन आएगा? क्या चीनी जोड़े फिर से उनकी राह रोकेंगे? क्या कोरियाई युवा जोड़ी उनके खिलाफ अपनी ताकत दिखाएगी? ये सवाल अभी तक जवाब का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन एक बात तय है — वो अब बस भाग नहीं ले रहे, बल्कि जीतने के लिए आए हैं।
दूसरे भारतीय खिलाड़ियों का संकेत
मई 10, 2025 को ताइपेई ओपन सुपर 300 में उन्नति हूडा और आयुष शेट्टी (चिराग शेट्टी के अलग) सेमीफाइनल तक पहुंचे, लेकिन हार गए। ये एक अच्छा संकेत है — भारत के बैडमिंटन का टैलेंट अब सिर्फ डबल्स तक सीमित नहीं। एक नई पीढ़ी आ रही है। और चिराग-सत्विक का काम अब सिर्फ खुद को जीतना नहीं, बल्कि इस नई लहर को दिशा देना भी है।
क्यों ये सब इतना मायने रखता है?
भारत के बैडमिंटन का इतिहास एक अकेले खिलाड़ी का नहीं, बल्कि एक टीम का है। 2022 के थॉमस कप जीत के बाद, देश का विश्वास बदल गया। अब लोग सोच रहे हैं — क्या भारत एक बार फिर विश्व चैंपियन बन सकता है? चिराग और सत्विक उसी सपने के नेता हैं। वो न सिर्फ अपनी जीत के लिए खेल रहे हैं, बल्कि एक ऐसे भारत के लिए जो अब बैडमिंटन का एक शक्तिशाली खिलाड़ी बनने का सपना देख रहा है।
अगले कदम
ऑस्ट्रेलियाई ओपन के बाद, चिराग और सत्विक के लिए अगला बड़ा टूर्नामेंट होगा इंडोनेशिया ओपन सुपर 1000। ये उनके लिए एक टेस्ट होगा — क्या वो दुनिया के सबसे कठिन टूर्नामेंट में भी टॉप चार में रह सकते हैं? उनके लिए अगले छह महीने उनके करियर का निर्णायक समय हो सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
चिराग शेट्टी और सत्विकसैराज रैंकिरेड्डी कब तक एक साथ खेलेंगे?
दोनों खिलाड़ी अभी भी अपने शीर्ष फॉर्म में हैं और 2026 के ओलंपिक के लिए तैयारी कर रहे हैं। उनके कोच तन किम हर ने हाल ही में कहा कि उनका लक्ष्य 2028 के ओलंपिक तक एक साथ खेलना है। उनकी रासायनिक प्रतिक्रिया और टीम वर्क अभी भी दुनिया के सबसे अच्छे डबल्स जोड़ों में शामिल है।
ऑस्ट्रेलियाई ओपन में उनकी जीत का क्या महत्व है?
ये टूर्नामेंट उन्हें ओलंपिक क्वालिफाइंग पॉइंट्स देगा। अगर वो फाइनल तक पहुंचते हैं, तो उनका विश्व रैंकिंग में स्थान बढ़ेगा, जिससे उन्हें बड़े टूर्नामेंट्स में बेहतर सीडिंग मिलेगी। ये सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि भारतीय बैडमिंटन के लिए एक रणनीतिक जीत होगी।
क्या तन किम हर की वापसी ने उनकी प्रदर्शन में अंतर डाला है?
हां। तन किम हर के बाद के दौर में, उनकी रैकेट वाली गति और नेट पर दबाव बढ़ गया है। उनके खिलाफ खेलने वाले खिलाड़ी बताते हैं कि अब वो ज्यादा अनप्रिडिक्टेबल हैं। उनकी टीम ने अब बार-बार गेम के अंतिम बिंदुओं में शांति बनाए रखी है — ये बड़े टूर्नामेंट्स में जीत की कुंजी है।
भारतीय बैडमिंटन के लिए ये जोड़ी क्यों महत्वपूर्ण है?
चिराग-सत्विक भारत के लिए डबल्स का पहला बड़ा निशान हैं। उनके बाद आने वाली पीढ़ी अब डबल्स को एक विकल्प के बजाय एक लक्ष्य के रूप में देख रही है। उनकी सफलता ने खिलाड़ियों को ये विश्वास दिया है कि भारतीय खिलाड़ी दुनिया के शीर्ष पर चढ़ सकते हैं — चाहे वो एकल हो या डबल्स।