ब्रिटिश भारत – क्या आप जानते हैं?
जब हम ‘ब्रिटिश भारत’ सुनते हैं तो इमेज के तौर पर समुद्री जहाज़, राजाओं के कपड़े और अंग्रेज़ी टॉपिक याद आते हैं। असल में ये शब्द एक पूरे सदी‑साल के शासन को दर्शाता है, जो 1757 से 1947 तक लगभग दो सौ साल चले। आज भी इस दौर की बातें सुनकर हमें अपने देश की पहचान समझने में मदद मिलती है।
ब्रिटिश शासन की शुरुआत
ब्रिटिश का भारत में पहला कदम बंगाल की लड़ाई (1757) से शुरू हुआ। उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी ने केवल व्यापार के लिए एक ठिकाना बनाया, पर जल्द ही उन्होंने स्थानीय राजाओं को हथियारों से कमजोर करके सीधे नियंत्रित करना शुरू कर दिया।
आगाज़ में ये आर्थिक जुड़ाव था – भारत की कपड़ा, मसाले और चाय को यूरोप में बेचना। पर कंपनी ने राजस्व कटौती, ज़मीन की बिक्री और नई कर प्रणाली (जैसे कि इकसाल) लागू की, जिससे आम आदमी की जेब पर भारी बोझ पड़ा।
1849 में भारतीय सिपाही का विद्रोह और 1857 का केसरीपुर का विद्रोह, दोनों ही इंग्लैंड को बताये कि कंपनी का शासन टिक नहीं रहा। 1858 में ब्रिटिश सरकार ने सीधे भारत पर क़ब्ज़ा कर लिया, जिसे हम ‘ब्रिटिश राज’ कहते हैं।
ब्रिटिश भारत का आज के भारत में असर
ब्रिटिश राज ने कई संस्थाएँ छोड़ी जो आज भी हमारे दैनिक जीवन में चल रही हैं – रेलवे, टेलीग्राफी, सिविल सेवा और अंग्रेज़ी का प्रशासनिक भाषा के रूप में उपयोग। रेलों ने देश के विभिन्न हिस्सों को जोड़कर व्यापार को आसान बना दिया, वही समय में उन्होंने जमीन-पर‑राज्य को तोड़ कर नई सीमाएँ बनाई।
शिक्षा के क्षेत्र में अंग्रेज़ी स्कूलों ने आज के प्रतिस्पर्धी नौकरी बाजार को आकार दिया। लेकिन इस शिक्षा प्रणाली ने अक्सर भारतीय भाषाओं और सांस्कृतिक ज्ञान को पीछे धकेल दिया, जिससे भाषा के प्रति एक द्वैधता बना।
आर्थिक नीतियों में ब्रिटिश ने भारतीय उद्योग को अपने लाभ के लिये मोड़ दिया – जैसे कि भारतीय वस्त्र उद्योग को विदेशी कपड़े की नकल करके ध्वस्त कर दिया। इससे भारत में कई आर्थिक समस्याएँ पैदा हुईं, पर आज हम खुद को पुनः संरचना कर रहे हैं, जैसे ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलें।
राजनीतिक तौर पर, ब्रिटिश ने संसद के मॉडल पर भारतीय विधायिका स्थापित की, और स्वतंत्रता की लड़ाई में कांग्रेस और कई राष्ट्रीय नेता उभरे। 1947 में आज़ादी के बाद यह लोकतांत्रिक ढाँचा हमारे संविधान में परिलक्षित हुआ।
समाप्त में, ब्रिटीश भारत केवल अतीत की कहानी नहीं, बल्कि वो जड़ें हैं जिनसे आज के भारत की सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक पहचान जुड़ी है। अगर आप इतिहास को समझेंगे तो आप भविष्य के फैसलों को बेहतर देख पाएँगे।
ब्रितिश भारत में जीवन अद्वितीय था, जिसमें समृद्ध संस्कृति का एक अजीबोगरीब मिश्रण था। जबकि कुछ लोगों को नई शिक्षा, नौकरियाँ और सुविधाएँ मिली, वहीं बहुत से लोग उत्पीड़न, असमानता और भूखमरी का सामना करने पड़े। सरकार के अनुचित नियंत्रण के चलते कृषि और उद्योग संकट में थे। जनता ने आजादी के लिए संघर्ष किया और अंततः 1947 में भारत अंग्रेजों से स्वतंत्र हुआ। इस समय ने हमें कुछ सकारात्मक विकास दिए, लेकिन यह भी हमें अपनी स्वतंत्रता के महत्व को समझने का अवसर दे गया।
और देखें