अमेरिकी मीडिया नरेंद्र मोदी को कैसे चित्रित करता है?

द्वारा: आर्य वरदान नागपाल जुल॰, 31 2023

अरे यार, अमेरिकी मीडिया तो हमारे मोदी जी को बहुत ही विभिन्न और रोमांचक तरीके से दिखाता है। कभी उन्हें एक धूर्त नेता के रूप में दिखाते हैं, तो कभी एक बेहद दृढ़ और दृष्टिकोणीय नेता के रूप में। अरे, उनकी बिल्कुल जैसे चाल-चलन और बोल-चाल की झलक को अमेरिकी मीडिया ने वास्तव में बखूबी पकड़ लिया है। मोदी जी की शक्तिशाली व्यक्तित्व और उनके निर्णय की दृढ़ता को चित्रित करने में अमेरिकी पत्रकार ने खूब जमकर मेहनत की है। बस ऐसा लगता है, मोदी जी तो अमेरिकी मीडिया के नए सुपरहीरो हैं!

आगे पढ़ें

विदेशी भारतीय खाद्य को कौन सा अजीब या विदेशी पाते हैं?

द्वारा: आर्य वरदान नागपाल जुल॰, 28 2023

अरे वाह! यह एक बहुत ही रोचक विषय है। आपको यकीन नहीं होगा कि विदेशियों को हमारे भारतीय खाने में कुछ ऐसे अजीब तत्व मिलते हैं, जिसके बारे में हमने कभी सोचा भी नहीं। उन्हें खासतौर पर हमारे मसालों की मिश्रणी और खाने की उस ताजगी को समझने में समस्याएं होती हैं। वे हमारे दही भल्ले, पानी पूरी जैसे खाने को देखकर चकित रह जाते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि यही तो हमारे खाने की खासियत है, है ना? खाने का आनंद लेने का तो अपना ही मजा है!

आगे पढ़ें

भारतीय शाकाहारी के लिए इजरायल में रहना कितना कठिन/आसान है?

द्वारा: आर्य वरदान नागपाल जुल॰, 23 2023

मेरे अनुभव के अनुसार, भारतीय शाकाहारी के लिए इजरायल में रहना बहुत ही सुविधाजनक है। इजरायल में विशाल शाकाहारी खाद्य सामग्री और विविधता मिलती है, जिससे खाने की चिंता कम हो जाती है। यहां के रेस्टोरेंट्स और कैफे में शाकाहारी विकल्प उपलब्ध होते हैं। हालांकि, भारतीय मसालों और व्यंजन की कमी हो सकती है, लेकिन वहां के अनेक हिंदी समुदायों के कारण यह समस्या भी नहीं रहती। इसलिए, भारतीय शाकाहारी के लिए इजरायल में रहना बहुत ही सुखद और सुविधाजनक अनुभव हो सकता है।

आगे पढ़ें

ब्रिटिश भारत में जीवन कैसा था?

द्वारा: आर्य वरदान नागपाल जुल॰, 19 2023

ब्रितिश भारत में जीवन अद्वितीय था, जिसमें समृद्ध संस्कृति का एक अजीबोगरीब मिश्रण था। जबकि कुछ लोगों को नई शिक्षा, नौकरियाँ और सुविधाएँ मिली, वहीं बहुत से लोग उत्पीड़न, असमानता और भूखमरी का सामना करने पड़े। सरकार के अनुचित नियंत्रण के चलते कृषि और उद्योग संकट में थे। जनता ने आजादी के लिए संघर्ष किया और अंततः 1947 में भारत अंग्रेजों से स्वतंत्र हुआ। इस समय ने हमें कुछ सकारात्मक विकास दिए, लेकिन यह भी हमें अपनी स्वतंत्रता के महत्व को समझने का अवसर दे गया।

आगे पढ़ें